Sunday, December 27, 2009

गंगा जमुनी तहजीब की अनूठी मिशाल है जौनपुर की सरज़मी


गुलामी से ले कर अब तक यूँ तो देश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक तनाव , दंगा फसाद और खून खराबा जैसी घटनाए हुई पर उत्तर प्रदेश का जौनपुर जनपद सिर्फ ऐसी घटनाओं से अछूता रहा है बल्कि जाति , धर्म और सम्प्रदाय जैसी संकीर्ण भावनाओं से ऊपर उठ कर यहाँ के लोगो ने हर मौके पर एक दूसरे के सुख दुःख में हाथ बटा
कर दुनिया के सामने गंगा जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिशाल पेश की है यहाँ राम लीला के मंचन में अस्फाक, इस्लाम और फ़िरोज़ जैसे पात्र राम लक्षमण और सीता की भूमिका में मिल जाएगे तो दूसरी तरफ सरदार पंछी , महेंद्र, और रामकृष्ण जैसे लोगो को मुहर्रम के महीने में नौहा ,मातम तथा ताज़िया दारी करते देखा जासकता है
करीब ४५ लाख की आबादी वाले इस जिले में मुस्लिमो की भी अच्छी खासी तादात है लेकिन धर्म- सम्प्रदाय जैसी संकीर्ण भावनाओं से अछूते इस जिले की आबो हवा कुछ ऐसी है कि होली ,दिवाली ईद और मुहर्रम जैसे पर्व पर हर कोई एक दुसरे की खुसी और गम को बाटने में नहीं चूकता
जौनपुर शहर के सदर इमामबाड़े के निकट मखदूम शाह अरहन मोहल्ले के जित्तू ,राजू, और जीतेन्द्र का परिवार हर साल मातम का महीना मुहर्रम की तैयारी में महीने भर पहले से ही जुट जाते है इस परिवार के लिए यह परम्परा कोई नयी नहीं है इनके पुरखो ने ही इसकी नीव डाली थी मुहर्रम के मौके पर यह परिवार ताज़िया बनाता है आज मुहर्रम की वी तारीख है रात मे अजा खानों में ताजिए रख दिए जाए गे कल इन्हें सिपुर्दे ख़ाक किया जाएगा इस मौके पर जीतू और उनके परिवार को ताज़िया बनाते देख किसी को भी सदियों से चली आरही यहाँ की गंगा जमुनी तहजीब प्रभावित कर देती है यही नहीं मगरेसर गाव के कन्हैया तिवारी ,रामजीत , जसे तमाम हिन्दू परिवार मुहर्रम और चेहल्लुम के मौके पर ताज़िया दारी करते है बात अगर जीतू और कन्हैया तक ही सीमित रह जाए गी तो मै समझता हु कि यह बात अधूरी ही रह जाएगी इसी जिले के मडियाहू तहसील के नेवढिया गाव के सलीम को ही देख ले आज से कोई १० साल पहले उन्हें ऐसी राम धुन लगी कि वह रामायण के ही मुरीद हो गए अब इलाके में कही भी रामायण के पाठ का आयोजन होता है तो कोइ भी सलीम को बुलाना नही भूलता यही के नसरुल्लाह को ही देख ले वह भी पिछले कई सालो से शारदीय नवरात्र के मौके पर अपने दरवाजे के सामने माँ दर्गा की प्रतिमा स्थापित करते है और पूरे नौ दिन तक ब्रत भी रखते है
जिले की गन्गा जमुनी तहज़ीब के तो ये सिर्फ़ चन्द नमूने है अगर आप शहर से लेकर गाव तक देखे गे तो यहा ऐसे नमूने कदम कदम पर मिल जएगे

2 टिप्पणियाँ:

Arvind Mishra said...

वाह गंगा जमुनी तहजीब का बेजोड़ उदाहरण!

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर बात बताई आपने. नये साल की रामराम.

रामराम.