Saturday, December 19, 2009

सरकार की टाल मटोल रवैए से आहात होती भावनाए

आज से करीब ५ साल पहले केन्द्र सरकार ने जब सच्चर कमेटी का गठन किया था तो देश के अल्पसंख्यको
ने विकास की एक नई किरण का उदय होने का सपन देखा था । लेकिन अब कमेटी कि सिफ़ारिसो को लागू करने मे सरकार की ओर से की जा रही हीला हवाली ने आन्दोलन की राह पकड ली है ।
दर असल देश के अल्पसंख्यको की सामाजिक , आर्थिक और तालीमी स्तर की सही स्थिति का पता लगाने और उसमे सुधार लाने के लिए ही इस कमेटी के गठन की जरूरत मह्शूस की गयी थी । न्याय मूर्ति रजेन्द्र सच्चर की सदारत मे गठित इस उच्च स्तरीय समिति ने देर से ही सही किन्तु जब अपनी ४२५ पन्नो की रेपोर्ट सरकार को सौप दी और सन्सदीय कर्य मन्त्री ने उसे सदन मे पेस भी कर दिया तो उसमे होरही देरी का करण क्या हो सकता है ? ऐसे मे सरकार अपनी मजबूरी के कारन भी स्पष्ट नही कर रही है तो इस लोकतन्त्रिक ब्य्वस्था मे अल्प्सन्ख्यको को अन्दोलित होना लाजमी भी है । आखिर एक तरफ़ सरकार अल्प्सन्ख्यको की हिमायती भी बन रही है दुसरे उनकी आकान्छाओ को पूरा करने मे उदासीनता भी बरत रही है तो लोगो मे सरकार की इस लचर रवैये के खिलाफ़ गुस्सा तो पनपे गा ही । उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले मे अल्प्सन्ख्यक अधिकार दिवस के मौके पर
आजाद शिक्षा केन्द्र के तत्वाधान में एक जन जागरूकता रैली सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए निकाली गयी।रैली की शुरूआत आजाद शिक्षा केन्द्र, सिपाह के कार्यालय से मानिक चौक, राजा साहब के फाटक होते हुए अटाला मस्जिद से कोतवाली, चहारसू चौराहे से होते हुए शाही किला पर समाप्त हुयी। रैली में मौलाना आजाद तालीमी मरकज के बच्चे नारे लिखी तख्तियां एवं सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू करो, मौलाना आजाद एजूकेशनल फाण्डेशन का वार्षिक फण्ड बढ़ाया जाए, रंगनाथ मिश्रा की रिपोर्ट लागू करो, मुसलमानों का शोषण बन्द हो आदि नारेलगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। रैली के दौरान सच्चर कमेटी की सिफारिश के पर्चे बांटे गये।

2 टिप्पणियाँ:

मनोज कुमार said...

अच्छी रचना बधाई। ब्लॉग जगत में स्वागत।

deepakupadhyay said...

good morning bhiya m deepak.

aapka blog bahut hi aacha hai.

ek din office me aapke blog kholkarsabko padaye the.