Thursday, December 17, 2009

क्यो नहीं होती इतिहास को जानने की कोशिसे ?

उत्तर प्रदेश का जौनपुर जनपद काफी प्राचीन जिला है करीब ४५ लाख की भारी भरकम आबादी वाले इस जिले के विभिन्न इलाके में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरे इस बात की गवाह भी है । मसलन शाही किला, अटाला मस्जिद , शाही पुल और तमाम शाही मकबरे , केरार बीर का मंदिर, त्रिलोचन महादेव जैसे सैकड़ो ऐतिहासिक , दार्शनिक और पुरातात्विक स्थल इस जिले की प्राचीनता को बया करते है । बस इतना ही नहीं शार्की काल में जौनपुर जनपद देश की राजधानी भी रहा है । और आज भी इसे शिराजे हिंद के नाम से जाना जाता है । सिराजे हिंद इसलिए कहा गया की शार्की काल में एजुकेशन की दृष्टि से इरान देश का शिराज शहर अत्त्याधिक समृद्ध शाली था और उस दौर में वहा से तमाम उलेमा जौनपुर आकर तालीम का प्रचार प्रसार किए तभी से इस शहर की तुलना शिराज से करते हुए जौनपुर को शिराज़े हिंद कहा जाने लगा । तालीम की बदौलत ही आज भी इस जिले की मिट्टी में पले बढ़े तमाम लोग देश और विदेश में विभिन्न उच्च पदों पर आसीन हो कर जिले का गौरव बढ़ा रहे है ।
पर अफ़सोस इस बात की है कि इस प्राचीन जिले में आज भी बहुत से ऐतिहासिक स्थल ऐसे पड़े है जो इतिहास कारो और पुरातत्वविदों कि नज़र से अनछुए रह गए है । आज से करीब आठ साल पहले जिले के बख्शा विकास खंड के दरियाव गंज गांव में पीली और गोमती नदी के मुहाने पर स्थित टीले के नीची दबे कुषाण कालीन अवशेष मिले थे । अभी जाफराबाद इलाके में खुदाई के दौरान मुग़ल कालीन सिक्के मिले थे । और अब इसी इलाके के
तहरपुर कजगांव गांव में खेत की खुदाई को दौरान मंगलवार को दुर्गा प्रतिमा मिली। ग्रामीणों ने नीम के पेड़ के नीचे प्रतिमा स्थापित कर हवन-पूजन शुरू कर दिया है।
तहरपुर गांव निवासी मुन्नू यादव कुएं का जगत बनाने हेतु अपने खेत से मिंट्टी खुदवा रहा था। खुदाई के दौरान फावड़े से कुछ टकरा गया। मजदूरों ने गहराई तक खोदा तो डेढ़ फीट लंबी मां दुर्गा की प्रतिमा मिली।
सूचना मिलते ही क्षेत्र के सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गये। कुछ लोगों ने प्रतिमा को नदी में विसर्जित करने का प्रस्ताव रखा। इस बात की जानकारी होते ही गांव की महिलाओं ने पहुंचकर विरोध किया। कहा प्रतिमा विसर्जित नहीं होगी। इसे स्थापित किया जाएगा। महिलाओं ने नीम के पेड़ के नीचे प्रतिमा स्थापित कर दिया। पचरा और देवी गीत से गांव भक्तिमय हो गया। पर ऐतिहासिक दृष्टि कोण से महत्वपूर्ण इन स्थलों पर उत्खनन की पहल न तो जिला प्रशासन की तरफ से हो रही है और न ही किसी विश्व विद्यालय की तरफ से । जब कि जान कारो का भी मानना है कि इन महत्वपूर्ण स्थलों पर उत्खनन कराया जाए तो जिले के भूगर्भ में दबे अवशेषों से कई अनछुए इतिहासों का रहस्योद्घाटन होसकता है किन्तु जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग न जाने क्यों अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन और जनाकान्छाओ को पूरा करने में कोई दिलचश्पी नहीं दिखा रहे है ।

1 टिप्पणियाँ:

Arvind Mishra said...

जौनपुर की समृद्ध ऐतिहासिकता रही है -आपके ध्यानाकर्षण के लिए आभार!